संस्कार - मानव जीवन 16 संस्कारों में बँटा हुआ है , संस्कार व्यक्तित्व को परिपक्व करने की विधि को कहते है | बहुत बार सुनने को मिलता है कि "पता नही आज के नवयुवको, बालको को क्या हो गया है कहना मानते ही नही", परन्तु साथ ही जाने अनजाने मे उन्ही नवयुवको, बालको या अपने नौनिहालो के समक्ष अपने व्यवहार, वाणी के द्वारा हम स्वयं ही संस्कारहीन हो जाते है और फिर विध्यालय की एकमात्र जिम्मेदारी समझकर अपना पल्ला झाड लेते है|
विध्यालय संस्कारवान नागरिक तैयार करने में कोई कसर बाकी नही रखता है | माहेश्वरी पब्लिक स्कूल आज के परिपेक्ष्य में परम्परागत संस्कारो से नई पौध को पौषित करने का प्रयास करता आ रहा है जिससे वे बालक संवेदनशील समाज का निर्माण कर सके एंव भारतीय संस्कारो व संस्क्रति को सहेज कर बालक अपने अन्दर आधुनिक शिक्षा के साथ परम्परागत मानविक मूल्यों को भी पौषित करें |
अभिभावको से अपेक्षा :-
1. क्या आप बालक को अपना पूर्ण या अपेक्षित समय देते है ?
2. क्या आप बालक को यह दिशा देते है कि क्या अच्छा है ? क्या बुरा है?
3. क्या अपने परिवार के साथ पर्व, त्यौंहार, धार्मिक अनुष्ठान में बालक की रूचि पैदा करते है ?
4. क्या आप बालक कि रूचि एवं मित्रों के बारे में पूर्ण जानकारी रखते है ?
5. क्या आप बालक के अध्ययन में पूर्ण रूचि लेते है या परीक्षा के उपरान्त अंको को ही देखकर आंकलन कर लेते है ?
मान्यवर यदि हम सभी मिलकर प्रयास करें तो बालक अवश्य ही हिन्दुस्तान का संस्कारित युवक बनेगा |
जय महेश - जय भारत
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